Shiv chaisa - An Overview
Shiv chaisa - An Overview
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योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं॥
दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥
अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥
नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥ निरंकार है ज्योति तुम्हारी। तिहूँ लोक फैली उजियारी॥
सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥ आप जलंधर असुर संहारा ।
शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ॥ जन्म जन्म के पाप नसावे ।
प्रतिदिन शिव चालीसा का पाठ करने से आपके जीवन की कठनाईया दूर होती हैं Shiv chaisa ।
सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥ जो यह पाठ करे मन लाई ।
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥
नित्त नेम उठि प्रातः ही, पाठ करो चालीसा।
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
शिव पंचाक्षर स्तोत्र